भारत के Iron Lady बछेंद्री पाल के जीवन परिचय | Bachendri Pal biography
Bachendri Pal : अगर आपको भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला बछेंद्री पाल के जीवन से सम्बन्धित कुछ रोचक बातें जानना है तो यह पोस्ट आपके बहुत काम का है क्योंकि आज हम इस पोस्ट मे उनके जीवन परिचय के बारे मे जानने वाले हैं। और हम आपको बताने वाले हैं कि बचेंद्री पाल नें कैसे अपना जीवन उत्तराखंड के पहाड़ो से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने तक का सफर कैसे तय किया, और वह कैसे भारत की प्रथम महिला माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली बन गई।
उससे पहले आपकी जानकारी के लिए बता दें कि माउंट एवरेस्ट पूरी दुनिया के सबसे ऊंची चोटी है और इस चोटी का फतः बछेंद्री पाल ने सन 1984 में ही 1 बजकर 7 मिनट पर कर दिया था, और वह माउंट एवरेस्ट को फतः करने वाली भारत की प्रथम महिला बन गई थी। और इसी उपलब्धि के चलते हैं उनका नाम की गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड के रिकॉर्ड में भी है।
बचेंद्री पाल से पहले केवल पूरे विश्व के 4 महिलाएं ऐसे हैं जो कि माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी को फतह कर चुकी है और बछेंद्री का उनमें से पांचवा स्थान है। और वहीं वो सभी 4 महिलाएं दूसरे दूसरे देश की हैं।
नाम : बछेंद्री पाल
जन्म स्थान : उत्तरकाशी, उत्तराखंड
जन्म तारीख : 24 मई, 1954
प्रसिद्ध : भारतीय पर्वतारोही
पिता का नाम : किशन सिंह पाल
माता का नाम : हंसा देवी
धर्म : पाल, हिंदू
एवरेस्ट की चढ़ाई : 23 मई, 1984 (1 बजकर 7 मिनट दिन मे)
क्वालिफिकेशन : बी.एड, संस्कृत भाषा में एम.ए और नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (एनआईएम)
Bachendri Pal biography : माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली भारत की पहली बार 24 मई 1920 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पहाड़ो के गोद मे हुआ है, और जैसा की आप सब जानते हैं की उत्तराखंड पहाड़ो का राज्य है यहाँ आपको जगह जगह उच्ची पहाड़ की छोटीयां देखने को मिल जाएगा। और इसी कारण से बछेंद्री को भी बचपन से ही पहाड़ के उच्ची चोटियों पर चढ़ने का बहुत शौक था, और उन्होंने केवल 12 साल की उम्र में हीं पहाड़ के चोटियों पर चढ़ना चालू कर दिया था।
वहीं अगर उनकी पढ़ाई के बारे में बात करें तो उन्होंने बी.एड, संस्कृत भाषा में एम.ए और नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (एनआईएम) तक की पढ़ाई पूरी की है, और एनआईएम से माउंटेनियरिंग करने के बाद उन्होंने अपने प्रवतारोही करियर की शुरुआत की है।
Bachendri Pal Personal Life
वहीं अगर उनके निजी जीवन के बारे मे बात करें तो उनके पिता का नाम किशन सिंह पाल जो की एक किसान हैं, और उनके माता जी का नाम हंसा देवी है जो की गृहनी हैं। और उनके पूरे परिवार में उनके माता पिता के अलावा उनके दो भाई और दो बहने भी हैं।
वहीं वह वर्तमान में ‘टाटा स्टील’ इस्पात कंपनी में पर्वतारोहण के साथ अन्य रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं। और वह अभी अपने पूरे परिवार के साथ वहीं रहती है।
पर्वतारोहण करियर की शुरुआत
जैसा की आप सबको पता है कि उनका जन्म स्थान उत्तराखंड में है, और उत्तराखंड पहाड़ का राज्य है ऐसे में उन्होंने केवल 12 साल की उम्र में ही पहाड़ की चोटी ऊपर चढ़ना प्रारंभ कर दिया था। और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की शुरुआत उन्होंने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से कोर्स पूरा करने के बाद साल 1984 में किया था, और 23 मई, 1984 के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर भारत का झंडा माउंट एवरेस्ट पर लहराया था। और उसके बाद भी कई सालों तक वो छोटे बड़े पहाड़ की छुट्टियों पर चढ़ते रहे हैं, और फिर बाद मे उन्होंनें टाटा स्टील कंपनी मे रोमांचक अभियानों का और और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रशिक्षण देने का कार्य प्रारम्भ किया।
और वह अभी इसी कार्य को कंटिन्यू कर रहे हैं और जो भी लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना चाहते हैं उन्हें वो ट्रेनिंग देती हैं। और बछेंद्री पाल के अंडर ट्रेनिंग लेकर हीं भारत के प्रथम विकलांग महिला अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) ने भी माउंट एवरेस्ट को फतह किया है।
बछेंद्री पाल को उनके कार्य के लिए मिलने वाले पुरस्कार और सम्मान।
वैसे बछेंद्री को उनके कार्यों के लिए कई सामानों से सम्मानित किया गया है लेकिन उनमें सबसे मुख्य है ” प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री‘ जो की उन्हें सन 1984 मे हीं तत्कालीन केंद्र सरकार पुरस्कृत कर दिया गया था, और दूसरा बड़ा पुरस्कार प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार ‘अर्जुन पुरस्कार’ है जो की भारत सरकार ने इन्हें वर्ष 1986 में दिया है।
बछेंद्री पाल के समाज सेवा के कार्य।
बछेंद्री पाल अपने समाज सेवा के कार्यों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है उन्होंने साल 2013 में आए आपदा में उन्होंने अपने पर्वतारोहियों के टीमों को लोगो की मदद के लिए भेजा था, और वहां के जरूरतमंद हजारों लोगों को राहत समाग्री के सामान पहुंचाया था। और इसके अलावा साल 2000 में गुजरात में आए भूकंप में भी इन्होंने अपने पर्वतारोही टीमों को भेजा था और जरूरतमंदों को बहुत मदद की थी। इस तरह बछेंद्री समाज सेवा के कार्य में भी बहुत आगे रहती है।
FAQ?
प्रश्न : माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला कौन थी?
उत्तर : माउंट एवरेस्ट कों फतह करने वाली पहली भारतीय महिला भारत उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के रहने वाली हैं, और उनका नाम बछेंद्री पाल है।
प्रश्न : माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला?
उत्तर : माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला भी उत्तराखंड की शीतल राज है जिन्होंने केवल 22 वर्ष की उम्र मे हीं यह काम किया है।
प्रश्न : भारतीय महिला पर्वतारोही के नाम?
उत्तर : माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारतीय महिला मे ” बछेंद्री पाल (1984) अरुनीमा सिन्हा (2013), शिवांगी पाठक (), प्रेमलता अग्रवाल (2011), संगीता बहल (2018), मालावथ पूर्णा (), संतोष यादव (1993), काम्या कार्तिकेयन (2020), अंशु जामसेंपा (5 बार माउंट अवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला), नुंग्शी औरत ताशी मलिक (2011) नाम शामिल है।
प्रश्न : बछेंद्री पाल किस अभियान दल में शामिल हुई?
उत्तर : बछेंद्री पाल मोदी जी के द्वारा चलाये गए अभियान ‘मिशन गंगे’ से जुडी हुई हैं।
प्रश्न : बछेंद्री पाल एवरेस्ट पर किस दिन पहुंची थी?
उत्तर : बछेंद्री पाल ने माउंट एवरेस्ट को फतः साल 1984 मे किया है, और उस समय उनका उम्र 30 साल था।
प्रश्न : ऑक्सीजन के बिना माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाला प्रथम व्यक्ति?
उत्तर : ऑक्सीजन के बिना माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने को भी व्यक्ति केवल भारत हीं नही बल्कि पुरे विश्व मे कोई नही है।