महाबोधी मंदिर – निर्माण कब हुआ, इतिहास, महत्व।
Mahabodhi Temple History in Hindi : भारत हीं नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित धर्मों मे से एक बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों और स्थलों में से एक है बिहार के गाया जिले मे स्थित महा बोद्धि मंदिर (Mahabodhi Temple), और इसके अलावा यह भारत के सबसे पुराना मंदिरों में से एक है। और यह बिहार राज्य के गाया जिले के मध्य मे स्थित निरंजना नदी के तट पर स्थित है।
Mahabodhi Temple का निर्माण कब हुआ है?
इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग में 2000 साल वर्ष पूर्व किया गया था, और यह जानकारी इतिहास के कुछ किताबों में मिलता है लेकिन इस मंदिर का निर्माण कब हुआ है इसकी जानकारी अभी तक सही से किसी को पता नहीं है। और यहाँ 6वी शताब्धिं के आस पास भगवान गौतम बुद्ध ने भी ज्ञान प्राप्त किया था, और यह बुद्ध के ज्ञान प्राप्त करने के स्थान से भी पुरे विश्व में विख्यात है। और यह बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है।
Mahabodhi Temple की मूल संरचना
वहीं अगर महाबोधि मंदिर की मूल संरचना की बात करें तो मौर्या साम्राज्य के सम्राट अशोक द्वारा इस मंदिर का निर्माण पुनः कराया गया है और उस समय से लेकर अब तक इस मंदिर की ऊंचाई 55 मीटर एवं 180 फीट है, इसके पिरामिड शिखर में कई अस्तर, कट्टर प्रस्तुतियां, और ठीक संरेखण शामिल हैं। और चारो शिखर, प्रत्येक अपने केंद्रीय समकक्ष के समान हैं, और आकार में छोटे और छाता की तरह गुंबद के साथ सबसे ऊपर, दो मंजिला संरचना के कोनों मे सजे हुए हैं।
महाबोधि मंदिर मे उपलब्ध देखने वाली सामग्री।
और इन सब के अलावा महा बोधि मंदिर के अंदर एक कांच में बने बुद्ध की एक पीली बलुआ पत्थर प्रतिमा है, और साथ मे यह मंदिर स्टोन रेलिंग और बो पेड़ के चारों ओर घेरे हैं।
यहाँ आपको स्मार्ट अशोक के कई खम्भों में सबसे प्रसिद्ध खम्भा जिस पर उन्होंने अपने पदों को लिखा था, वह भी इस महाबोधि मंदिर के दक्षिण-पूर्व कोने में स्थित है।
महाबोधि मंदिर का पर्यटन आकर्षण
महाबोधि मंदिर विश्व विख्यात भारत के प्राचीन और सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और ये बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है इसलिए यहां केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से हर साल लाखों की संख्या मे पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं।
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महाबोधि मंदिर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
- गौतम बुद्ध ने यहीं पर ज्ञान प्राप्त किया था। और ऐसा माना जाता है कि एक झील के पेड़ के नीचे बैठा युवा राजकुमार सिद्धार्थ (जो बाद में गौतम बुद्ध बन गए) ने तीन दिन और तीन रातों की ध्यान के बाद उन सभी सवालों की खोज यहीं की।
- सम्राट अशोक द्वारा नव निर्मित महाबोधि मंदिर परिसर ईंटों पर पूरी तरह से निर्मित होने वाले पहले बौद्ध मंदिरों में से एक है, और इसमें जिन पुरानी ईंट की संरचनाओं का उपयोग किया गया है, वह वास्तुकला की व्यापक धरहोर है।
- इस महा बोधि मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल मे घोषित जून 2002 मे किया गया था। और तब से इसके सभी धार्मिक कलाकृतियों को कानूनी रूप से संरक्षित किया जाता है।
- इस महा बोधि मंदिर के परिसर में आपको भव्य मूर्ति के अलावा, बोधि वृक्ष और स्मार्ट अशोक के खम्भा भी एक परिसर के कोने मे देखने को मिल जाएगा।
- इस मंदिर को बोधमंदिर के अलावा ‘महान जागृति मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। और यह भारत के 10 सबसे प्राचीन प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
महाबोधि मंदिर से जुड़े कुछ प्रश्न के जवाब।
बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो कि प्रत्येक आदमी के मन में जरूर आता है।
FAQ?
Q.बोधगया कके महाबोधि मंदिर कब बना था?
Ans : बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर का निर्माण आज से लगभग में 2000 वर्ष पूर्व किया गया था, और इसका पुनर्निर्माण का कार्य सम्राट अशोक के शासन काल में हुआ था।
Q.महाबोधि मंदिर को यूनेस्को में कब शामिल किया गया?
Ans : इस महाबोधि मंदिर को विश्व धरोहर की सूची यूनेस्को में 27 जून 2002 मे शामिल किया गया है।
Q.महाबोधि मंदिर के निकट कौन सा सरोवर है?
Ans : महाबोधि मंदिर गया जिला के निरंजना नदी या सरोवर के निकट स्थित है।